Chhath Puja 2023 Date: छठ पर्व हिन्दू धर्म में विशेष महत्व रखता है, और इसे बिहार, झारखंड, और उत्तर प्रदेश के कई क्षेत्रों में धूमधाम से मनाया जाता है। पंचांग के अनुसार, कार्तिक Chhath Puja 2023 Date का आयोजन 17 नवंबर 2023 को, जो कि एक शुक्रवार है, से शुरू होगा, यह दिन कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि, अर्थात् छठी तिथि के साथ मनाया जाएगा। यह पर्व चार दिन तक चलता है और दीवाली के छठे दिन, यानी 6 दिन बाद मनाया जाता है। छठ का आयोजन नहाय-खाय (Nahay Khay) के साथ शुरू होता है। छठ के दूसरे दिन को खरना (Kharna) कहा जाता है, जिसमें व्रती को पूरे दिन उपवास करना होता है। शाम को, व्रती महिलाएं मिट्टी के चूल्हे पर गुड़वाली खीर (Gud Wali Kheer) का प्रसाद तैयार करती हैं। छठ व्रत के तीसरे दिन, सूर्य देव की पूजा की जाती है, जिसमें महिलाएं शाम के समय तालाब या नदी में जाकर सूर्य भगवान को अर्घ्य देती हैं। चौथे दिन, सूर्य देव को जल देकर छठ का समापन किया जाता है।
इस पोस्ट में क्या है ?
छठ पूजा का नियम क्या है?
Chhath Puja 2023 Date: इस दिन घर की अच्छी तरह से साफ-सफाई वगैरह की जाती है और सात्विक भोजन किया जाता है. इस दिन से घर में प्याज और लहसुन का इस्तेमाल बिल्कुल बंद हो जाता है. छठ का प्रसाद बनाते समय साफ-सफाई का बेहद खयाल रखा जाता है. इस प्रसाद को केवल वही लोग बना सकते हैं, जिन्होंने ये व्रत रखा हो
छठ पूजा में क्या क्या नहीं करना चाहिए
छठी मैया को चढ़ाने वाली कोई भी चीज झूठी और खंडित नहीं होनी चाहिए। अगर पेड़ों पर लगे फल-फूल को भी पशु-पक्षी ने झूठा किया हुआ है तो उसको भी माता को अर्पित न करें। फल-फूल हमेशा साफ-सुथरे और शुद्ध होने चाहिए। – नहाय खाय के दिन व्रती महिलाओं को सात्विक भोजन ग्रहण करना चाहिए, जिसमें लहसुन प्याज नहीं रहता है।
छठ पूजा में ठेकुआ का विशेष महत्व होता है। ठेकुआ अधिकतर बिहार और झारखंड के लोग बनाते हैं और आनंद उठाते हैं। छठ पूजा के अवसर पर ठेकुआ विशेष रूप से तैयार किया जाता है और इसे खजुरिया या थिकारी के नाम से भी जाना जाता है। यह विशेष रूप से छठ पूजा के समय बिहार, मध्य प्रदेश, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्रों में बनाया और स्वादिष्टी बनाया जाता है। ठेकुआ की पूरी रेसिपी के लिए यहां क्लिक करें।
छठ से जुड़ी कथा Chhath Puja 2023 Katha
आचरणा के अनुसार, छठ देवी सूर्य देव की बहन मानी जाती हैं, और उन्हें प्रसन्न करने के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है। व्रत करने वाले व्रतियों के द्वारा मां गंगा, यमुना, या किसी नदी या जलाशय के किनारे आराधना की जाती है। इस पर्व में स्वच्छता और शुद्धता का विशेष महत्व दिया जाता है। पुराणों में मां दुर्गा के छठे रूप कात्यायनी देवी को भी छठ माता के रूप में माना जाता है। छठ मईया को संतान देने वाली माता के नाम से भी जाना जाता है, और माना जाता है कि यह व्रत संतान प्राप्ति और संतान की मंगलकामना के लिए रखा जाता है।
छठ पूजा का इतिहास क्या है?
पौराणिक मान्यता के अनुसार छठ पर्व का आरंभ महाभारत काल के समय में माना जाता है। कर्ण का जन्म सूर्य देव के द्वारा दिए गए वरदान के कारण कुंती के गर्भ से हुआ था। यही कारण है कर्ण सूर्य पुत्र कहलाते हैं और सूर्यनारायण की कृपा से इनको कवच व कुंडल प्राप्त हुए थे व सूर्य देव के तेज और कृपा से ही ये तेजवान व महान योद्धा बने।
बिहार का प्रसिद्ध त्योहार कौन सा है?
उत्तर. बिहार का सबसे प्रसिद्ध और मौलिक त्योहार छठ पूजा है, जो दिवाली के छह दिन बाद मनाया जाता है। त्योहार को भक्ति, उपवास और मिठाइयों और फलों के वितरण द्वारा चिह्नित किया जाता है। अंतिम दिन गंगा नदी में पवित्र स्नान के साथ पूजा संपन्न होती है।
Chhath Puja 2023
छठ पूजा कौन से देश में मनाई जाती है?
छठ महापर्व को सूर्य षष्ठी, छठ, महापर्व, छठ पर्व, डाला पूजा, प्रतिहार और डाला छठ के रूप में भी जाना जाता है। इस प्राचीन त्योहार को मुख्य रूप से भारत के बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है. इसके साथ ही नेपाल में भी इसे मनाया जाता है।
हिंदू धर्म में उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। ऐसे में छठ पूजा वर्ष का एकमात्र समय है जब डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। कई स्थानों पर छठ पूजा को प्रतिहार डाला छठ छठी और सूर्य षष्ठी के नाम से भी जाना जाता है।